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सुबह सुबह मानसून को लेकर आई बुरी खबर, इस तारीख तक नहीं मिलेगी गर्मी से राहत

 

Bad news about monsoon came in the morning, there will be no relief from heat till this date
Bad news about monsoon came in the morning, there will be no relief from heat till this date

Summer Season : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई रज्यों में एक बार फिर गर्मी का प्रकोप तेज हो गया है. दिल्ली में शुक्रवार को आसमान में हल्के बादल नजर आए, लेकिन चिलचिलाती धूप से राहत मिलने की उम्मीद अभी भी कम है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने शुक्रवार को अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि मानसून आने में थोड़ा और समय लग सकता है, क्योंकि 11 जून के बाद से उसकी रफ्तार पर ब्रेक लग गया है. आईएमडी ने शुक्रवार को कहा कि मानसून की उत्तरी सीमा नवसारी, जलगांव, अमरावती, चंद्रपुर, बीजापुर, सुकमा, मलकानगिरी, विजयनगरम और इस्लामपुर से होकर गुजर रही है, लेकिन उसकी रफ्तार काफी धीमी है.

मानसून पर लगा ब्रेक
IMD के मुताबिक महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी, गंगीय पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों, अगले चार से पांच दिनों के दौरान बंगाल और बिहार के कुछ हिस्सों में मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं. आईएमडी ने चेतावनी दी है कि अगले चार से पांच दिनों तक भारत के उत्तरी हिस्सों में सामान्य लू से भीषण लू की स्थिति जारी रहने की संभावना है. जलवायु और मौसम विज्ञानी महेश पलावत ने कहा, ‘अगले 3-4 दिनों तक मानसून कमजोर रहने की उम्मीद है. एक बार जब यह गति पकड़ लेता है, तो यह पश्चिम बंगाल, झारखंड आदि की ओर बढ़ सकता है.

बारिश में आई कमी
उन्होंने आगे कहा, ‘हालांकि महीने के अंत में दिल्ली, हरियाणा और पड़ोसी क्षेत्रों में प्रवेश करने से पहले मानसून हिमालय की तलहटी में चला जाएगा. पछुआ हवाएं बहुत तेज हैं. वे नम पूर्वी हवाओं को उत्तर-पश्चिमी राज्यों में प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं. जब तक हवा की दिशा नहीं बदलेगी तब तक यहां मानसून की शुरुआत नहीं होगी.’ गुरुवार को दिल्ली और सफदरजंग वेधशाला समेत कई शहरों में अधिकतम तापमान 44.8 डिग्री सेल्सियस से 46 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया. आईएमडी के अनुसार, पूरे देश में बारिश में 9% की कमी है, उत्तर पश्चिम भारत में 57% की कमी है, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में 30% की कमी है, मध्य भारत में 9% की कमी है और प्रायद्वीपीय भारत में 50% अधिक वर्षा है.

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